नौकरी का पहला दिन

नौकरी का पहला दिन
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अपर्णा और सुप्रिया दोनों साथ में पढ़ा करती थी ।दोनों बहुत अच्छी दोस्त थी ,अपर्णा जहां धनीपुर परिवार से थी , वहीं सुप्रिया एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी। दोनों के रहन-सहन में काफी फर्क था , परंतु फिर भी दोनों बहुत अच्छी दोस्त थी ।

पढ़ाई के बाद दोनों नौकरी के लिए फॉर्म भरा करती थी ,और इंटरव्यू दिया करती थी ।अपर्णा को नौकरी की कुछ खास जरूरत नहीं थी। क्योंकि उसकी जरूरतें उसके माता-पिता पूरी कर दिया करते थे , परंतु सुप्रिया को नौकरी की काफी आवश्यकता थी । वो अपने माता-पिता के ऊपर से अपना खर्च हटाना चाहती थी। सुप्रिया दिन रात कड़ी मेहनत करती थी कि उसे नौकरी प्राप्त हो जाए । इंटरव्यू के बाद सुप्रिया का नाम चुन लिया गया । उसे जब ज्वाइन करने के लिए लेटर आया तो वह फूले न समाई, उसने अपने माता-पिता को यह खुशखबरी दी और आशीष देने को कहा । 

सुप्रिया का पहला दिन था नौकरी पर। उसे काफी घबराहट भी हो रही थी, परंतु सुप्रिया ने खुद के भीतर आत्मविश्वास जगाने की कोशिश की उसने अपने चेहरे से मुस्कान जाने नहीं दी घबराहट में भी वह अपने आप को खुश रखने की कोशिश कर रही थी। वहां पर उसकी मुलाकात अजय से हुई ,जिसने सुप्रिया के भीतर की घबराहट को पहचान लिया था उसने सुप्रिया से कहा पहली बार जॉब करने के लिए निकली हो , उसने कहा : नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है। तब अजय ने कहा : फिर यह घबराहट क्यों हो रही है । तब सुप्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा हां थोड़ा सा नॉर्मल होने में समय लगेगा। पहला पहला अनुभव है ,इसीलिए दिनभर सुप्रिया ने बड़ी मेहनत के साथ अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया । उसने किसी को शिकायत का मौका नहीं होने दिया । वो अपने आप को साबित करने के लिए जितनी मेहनत कर सकती थी उसने किया‌। सुप्रिया के इस स्वभाव को देखकर वहां के मैनेजर काफी खुश थे।

 उन्होंने सुप्रिया को शाबाशी दी और कहा यूं ही मेहनत और लगन के साथ अपनी हर जिम्मेदारी को निभाया करो ।आज नौकरी का पहला दिन तुम्हारा बहुत बहुत अच्छा व्यतीत हुआ है। आशा करता हूं, आगे भी तुम यूं ही मन लगाकर अपने हर कार्य को किया करोगी ।
सुप्रिया सभी की आशाओं पर खरी उतरी थी उसे भीतर ही भीतर बहुत ही खुशी का अनुभव हो रहा था । जो वह वहां जाता नहीं पा रही थी, जैसे ही घर आई । उसने अपर्णा को अपने नौकरी के पहले दिन के सभी अनुभव को बताया और वो फूली न समाई । अपर्णा ने कहा: तुम्हारे लिए मैं भी बहुत खुश हूं। बस यूं ही सदा हंसते मुस्कुराते रहा करो, तुम्हारे चेहरे पर उदासी और खामोशी बिल्कुल अच्छी नहीं लगती । नौकरी की हार्दिक बधाई हो तुम्हें। मां पापा को कब बुला रही हो । सुप्रिया ने कहा पहली तनख्वाह मिलते ही सबसे पहले मां पापा का रिजर्वेशन कर अपने पास बुला लूंगा, और उन्हें यह शहर घूम आऊंगी सच पहला अनुभव हमेशा खास हुआ करता है। जब हम अपनी मेहनत की कमाई से अपने मां-बाप के लिए कुछ कर सकते हैं। उससे बड़ा खूबसूरत अनुभव शायद दूसरा कुछ नहीं होता।

©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल ☯️

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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Nov-2021 09:59 PM

बहुत खूबसूरत

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Gunjan Kamal

16-Nov-2021 01:57 PM

शानदार प्रस्तुति 👌👌

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Adhbhut 👌👌kafi achha likha hai apne.. aur bilkul sahi kahi aap.. pehla anubhav hmesa khas hua karta hai👌 qki usi k base pr insan life me aage ka kuch bhi sochta hai.. well done aisi hi kahaniya likhti rhiye😇

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